Last Updated:September 20, 2025, 10:49 IST
Method of Making Manure From Straw : खेत में बेकार समझकर जलाई जाने वाली पत्तियां, पराली और गोबर का अगर सही तरीके से इस्तेमाल किए जाएं तो यह मिट्टी की सेहत सुधारकर फसल को सोना उगलने लायक बना सकते हैं. किसान 10 परतों की खास विधि अपनाकर शुद्ध जैविक खाद तैयार कर सकते हैं.
फर्रुखाबाद : आलू की खेती करने वाले किसानों के लिए यह मौसम बेहद अहम होता है. बुआई से पहले खेत की तैयारी सही ढंग से की जाए तो पैदावार कई गुना बढ़ सकती है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसान आलू की बुआई से पहले जैविक और रासायनिक खाद का संतुलित उपयोग करें तो न सिर्फ आलू का उत्पादन दोगुना होगा, बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी लंबे समय तक बनी रहेगी.
विशेषज्ञों के मुताबिक अक्सर खेत में गिरने वाले पत्ते और फसल कटने के बाद बचने वाली पराली को किसान बेकार मानकर जला देते हैं. इससे न सिर्फ मिट्टी की सेहत खराब होती है, बल्कि वातावरण भी प्रदूषित होता है. लेकिन जिले के एक किसान शैलेन्द्र सिंह ने इसे खेती का असली खजाना बना दिया है. उन्होंने साबित कर दिया कि प्रकृति का दिया हर अवशेष उपयोगी है, बस सही तरीके से अपनाने की जरूरत है.
मिट्टी उगेलेगी सोना
किसान शैलेन्द्र सिंह पिछले 15 सालों से गोबर और पत्तों से जैविक खाद बना रहे हैं. उनका कहना है कि खेत में गिरने वाले पत्ते और डंठल को जलाने की बजाय खाद में बदल दिया जाए तो मिट्टी सोना उगलने लगती है. आज वह 10 बीघा से ज्यादा जमीन पर शुद्ध जैविक खेती कर रहे हैं.उनकी फसलें न केवल ज्यादा उत्पादन देती हैं बल्कि मिट्टी भी उपजाऊ और स्वस्थ बनी रहती है.
जैविक खाद बनाने की प्रक्रिया
खेत में 30 फीट लंबे और 3 फीट गहरे गड्ढे खोद दें. इसमें परत-दर-परत नीम की पत्तियां, पराली, गोबर और मिट्टी डाल दें. हर परत पर हल्का पानी का छिड़काव करें. इस तरह करीब 10 परतें डालने के बाद गड्ढा भर जाएगा. 90 दिन बाद यह अवशेष पूरी तरह सड़कर शुद्ध जैविक खाद बन जाएगा.
ऐसे तैयार करें प्राकृतिक कीटनाशक
खाद के अलावा शैलेन्द्र सिंह पत्तों से प्राकृतिक कीटनाशक भी बनाते हैं. नीम की पत्तियां, आंवले के पत्ते, गुड़ और गोमूत्र को मिलाकर 10 दिन तक रख दें .इससे देसी कीटनाशक तैयार हो जाता है. इसे फसल पर छिड़कने से कीट और रोग दूर रहते हैं और यह पूरी तरह रसायन-मुक्त तरीका है.
पिता से मिली प्रेरणा
शैलेन्द्र को यह प्रेरणा अपने पिता से मिली थी. आज उनकी मेहनत और सोच के कारण न सिर्फ उनके खेतों में हरियाली है बल्कि अन्य किसान भी इस मॉडल को सीखकर अपना रहे हैं. उनकी पहल से पराली और पत्तों को जलाने की समस्या का समाधान भी दिखता है और पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है.
मीडिया फील्ड में 5 साल से अधिक समय से सक्रिय. वर्तमान में News-18 हिंदी में कार्यरत. 2020 के बिहार चुनाव से पत्रकारिता की शुरुआत की. फिर यूपी, उत्तराखंड, बिहार में रिपोर्टिंग के बाद अब डेस्क में काम करने का अनु…और पढ़ें
मीडिया फील्ड में 5 साल से अधिक समय से सक्रिय. वर्तमान में News-18 हिंदी में कार्यरत. 2020 के बिहार चुनाव से पत्रकारिता की शुरुआत की. फिर यूपी, उत्तराखंड, बिहार में रिपोर्टिंग के बाद अब डेस्क में काम करने का अनु… और पढ़ें
Location :
Farrukhabad,Uttar Pradesh
First Published :
September 20, 2025, 10:49 IST
पत्तियां, पराली, गोबर से करें 10 परतों वाला ये जुगाड़ … मिट्टी उगलेगी ‘सोना’!