Last Updated:September 20, 2025, 11:33 IST
Benefits Of Eating Makoy : ग्रामीण इलाकों में अक्सर खेतों और झाड़ियों में उगने वाला लाल और पीले दानों वाला ये पौधा औषधीय गुणों से भरपूर है. आयुर्वेद में इसे जादुई पौधा कहा जाता है, क्योंकि यह शरीर की कमजोरी दूर कर जोश बढ़ाने के साथ किडनी, पाइल्स और पीलिया जैसी गंभीर बीमारियों में भी कारगर माना जाता है.
रायबरेली : भारत में बहुत पहले से ही गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए अलग-अलग प्रकार की जड़ी-बूटियों का उपयोग किया जाता रहा है. गौरतलब है कि भारत को आयुर्वेद का जनक भी कहा जाता है, जिसका लोहा पूरी दुनिया मानती है. हम भारतवासी बड़ी से बड़ी बीमारी के उपचार में आयुर्वेदिक दवाओं का ही उपयोग करते रहे हैं. धरती पर हमारे आसपास ऐसी हजारों पेड़-पौधे मौजूद हैं, जिनका उनके औषधीय गुणों के कारण कई दवाओं को बनाने के लिए किया जाता है. आयुर्वेद में ऐसे पेड़-पौधों को ऊंचा दर्जा दिया गया है. आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों की बात होती है, तो अक्सर तुलसी, गिलोय या आंवला की सबसे ज्यादा चर्चा होती है.लेकिन कई ऐसे पौधे हैं जिनका कई बीमारियों के इलाज में दवा बनाने में उपयोग किया जाता है.लेकिन जानकारी के अभाव में उन्हें खरपतवार समझ कर हम उसे नष्ट कर देते हैं.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं जंगलों में पाए जाने वाले एक साधारण से पौधे मकोय की, जिसका आयुर्वेद में कई गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है. आयुर्वेद में इसे काकमाची के नाम से भी जाना जाता है. आमतौर पर यह छायादार जगहों पर ज्यादा पाया जाता है. इसके पौधे पर जमुनी और लाल रंग के टमाटर जैसे छोटे-छोटे फल लगते हैं. इस पौधे की लंबाई आमतौर पर 1 से 1.5 फीट तक होती है .साधारण सा दिखने वाला यह पौधा हमें कई रोगों से बचाने में काफी सहायक है.
खरपतवार है मकोय
मकोय को असल में एक खरपतवार माना जाता है, जो कहीं भी उग जाता है. जंगलों में तो यह नजर आता ही है, साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों की मेड़ में भी इसकी झाड़ी खूब नजर आती है. शहरी क्षेत्रों के पार्क में जो ट्रैक बनाए जाते हैं, उसके दोनों तरफ बनी झाड़ियों में भी मकोय खूब दिखता है. इसका आकार मटर के दानों से कुछ छोटा होता है. फल कच्चा होने पर छोटे हरे मटर जैसा दिखता है और जब पक जाता है तो इसका रंग लाल, पीला या बैंगनी काला जैसा नजर आने लगता है.
बुढ़ापे में भी नहीं दिखेगा उम्र का असर
रायबरेली जिले के सीएचसी शिवगढ़ की आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. आकांक्षा दीक्षित ने लोकल 18 को बताया कि आयुर्वेद में इसे त्रिदोष नाशक माना जाता है. अर्थात वात, पित्त और कफ का नाश करने वाली यह औषधि है. आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर में वात, पित्त और कफ तीन दोष होते हैं. जब इन तीनों में से किसी भी एक दोष की कमी या अधिकता हो जाती है, तो हम बीमार पड़ जाते हैं. इसका सेवन करने से हमें बेहद आराम मिल जाता है.इसीलिए इस औषधि के रूप में भी प्रयोग किया जाता है. यह औषधि पौरुष बल तो बढ़ाती ही है, साथ ही इसकी जड़ों का बनाया गया काढ़ा शरीर का विष नष्ट करता है और बुढ़ापे की गति को भी मंद कर देता है.
इन बीमारियों के लिए है रामबाण
मकोय प्रमुख रूप से एक औषधि पौधा है. इसका इस्तेमाल कुष्ठ और बुखार के उपचार में, सांस संबंधी विकारों को दूर करने में, किडनी की बीमारी, सूजन, बवासीर, पीलिया, दस्त या कई प्रकार के चर्म रोग के उपचार में इसका सेवन करने से हमें बेहद लाभ मिलता है.
मीडिया फील्ड में 5 साल से अधिक समय से सक्रिय. वर्तमान में News-18 हिंदी में कार्यरत. 2020 के बिहार चुनाव से पत्रकारिता की शुरुआत की. फिर यूपी, उत्तराखंड, बिहार में रिपोर्टिंग के बाद अब डेस्क में काम करने का अनु…और पढ़ें
मीडिया फील्ड में 5 साल से अधिक समय से सक्रिय. वर्तमान में News-18 हिंदी में कार्यरत. 2020 के बिहार चुनाव से पत्रकारिता की शुरुआत की. फिर यूपी, उत्तराखंड, बिहार में रिपोर्टिंग के बाद अब डेस्क में काम करने का अनु… और पढ़ें
Location :
Rae Bareli,Rae Bareli,Uttar Pradesh
First Published :
September 20, 2025, 11:33 IST
लाल, पीले दानों वाला ये ‘जादुई’ पौधा… बना देगा 55 की उम्र में 18 जैसा!
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.