ऐसे करें धान की फसलों में कीटनाशकों की पहचान, मिलेगी बंपर पैदावार

Last Updated:September 20, 2025, 11:20 IST

धान भारत की अर्थव्यवस्था और किसानों की आजीविका की रीढ़ माना जाता है, लेकिन हर साल यह फसल कई तरह के रोगों की चपेट में आ जाती है, जिससे उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसान समय रहते रोगों की सही पहचान कर लें और वैज्ञानिक तरीकों से बचाव करें तो नुकसान से बचते हुए पैदावार को कई गुना बढ़ाया जा सकता है.

ऐसे करें धान की खेती

मुकेश पांडेय/मिर्जापुर : धान भारत की प्रमुख खाद्य फसलों में से एक है और इसकी खेती किसानों की आय का बड़ा स्रोत मानी जाती है, लेकिन हर साल धान की फसल कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ जाती है. जिससे उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसान समय रहते रोग की पहचान कर लें तो फसल को बचाया जा सकता है और नुकसान कम किया जा सकता है. आइए जानते हैं धान की फसल में रोग पहचानने के कुछ आसान तरीके और उनके बचाव की टिप्स.

dhan farming

सबसे पहले बात करते हैं झुलसा रोग (ब्लास्ट) की. यह धान की सबसे आम बीमारियों में से एक है. इसकी पहचान पत्तियों पर भूरे या ग्रे रंग के धब्बों से होती है, जिनके चारों ओर पीला घेरा बन जाता है. अगर यह रोग बढ़ जाए तो पूरा पौधा सूख सकता है. इसके नियंत्रण के लिए रोग प्रतिरोधक किस्मों का चुनाव और खेत में संतुलित नाइट्रोजन का उपयोग करने की सलाह दी जाती है.

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इसके बाद आता है शीथ ब्लाइट (तना गलन रोग). इस रोग में पत्तियों और तनों के पास भूरे रंग के धब्बे बनने लगते हैं. धीरे-धीरे ये धब्बे आपस में मिलकर पौधे को कमजोर कर देते हैं. विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि खेत की सफाई और फसल चक्र अपनाकर इस रोग से बचाव किया जा सकता है. बैक्टीरियल लीफ ब्लाइट भी धान की बड़ी समस्या है. इस रोग में पत्तियां किनारों से पीली होकर सूखने लगती हैं. खेत में खड़े पौधे मुरझाए हुए दिखते हैं.

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इसके अलावा धान का खैरा रोग जिंक की कमी के कारण होता है. इसकी पहचान पत्तियों के पीलेपन से होती है. खेतों में जिंक सल्फेट का छिड़काव कर किसान आसानी से इस समस्या से निजात पा सकते हैं. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि किसानों को नियमित रूप से अपनी फसल का निरीक्षण करना चाहिए.

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समय पर रोग की पहचान होने पर जैविक और रासायनिक उपाय अपनाकर फसल को बचाया जा सकता है. धान की फसल में रोगों की समय रहते पहचान करना और वैज्ञानिक तरीके अपनाना ही अच्छी पैदावार की कुंजी है. अगर किसान इन टिप्स पर अमल करें तो वे बेहतर उत्पादन के साथ-साथ अपनी मेहनत का पूरा लाभ उठा सकते हैं.

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विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि खेत की सफाई और फसल चक्र अपनाकर इस रोग से बचाव किया जा सकता है. सही जल निकासी और बेहतर क्रियान्वयन से भी बचा जा सकता है. इसलिए हमको इन सबके ऊपर भी ध्यान देना चाहिए. ताकि, फसलें खराब नहीं हो.

First Published :

September 20, 2025, 11:20 IST

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blboddh@gmail.com

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